संत रविदास जी की 695 वी जयंती मनाई गई एवं उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया | Sant ravidas ji ki 695 vi jayanti manai gai

संत रविदास जी की 695 वी जयंती मनाई गई एवं उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया

संत रविदास जी की 695 वी जयंती मनाई गई एवं उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया

तिरला (बगदीराम चौहान) - ग्राम पंचायत तिरला मैं आज संत रविदास जी की 695 वी जयंती मनाई गई कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद अध्यक्ष श्रीमती बिरजबाई के साथ अध्यक्ष अमित पाटीदार (भाजपा मंडल अध्यक्ष), श्री संजय मुकाती (प्रतिनिधि जिला मंत्री), श्री विश्वास पांडे (भाजपा जिला अध्यक्ष), श्री मुकेश सोलंकी (भाजपा जिला मंत्री), महेश जी रावला (वरिष्ठ भाजपा नेता) शांतिलाल मुकाती (उपसरपंच), दुर्गालाल कटारे (सरपंच तिरला), वीरेंद्र पाटीदार (जिला कार्यकारिणी समिति सदस्य), गोवर्धनलालजी सोलंकी, जगदीश कामतिया, श्रीमती आरती पटेल (भाजपा महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष), राजाराम जी मुकाती, रामकिशन जी पाटीदार (जनपद सदस्य), श्री श्याम बाबा ,श्रीमती मालती पटेल (जिला पंचायत अध्यक्ष धार) आदि उपस्थित रहे।

वक्ता गण 

बीआरसी तिरला श्री श्रीराम चौहान,

अमित जी पाटीदार ,श्री प्रेम सिंह रावत धार,

एस.एन. मकवाना सर परियोजना अधिकारी तिरला

संत रविदासजी का जीवन परिचय-हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुरु रविदास का जन्म माघ महीने में पूर्णिमा के दिन) में हुआ था, यही वजह है कि माघ पूर्णिमा पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। गुरु रविदास का जन्म 1377 सीई में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ। गुरु रविदास एक भारतीय रहस्यवादी, कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु थे। गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन के दौरान भक्ति गीतों, छंदों, आध्यात्मिक शिक्षाओं के रूप में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने 40 कविताएं भी लिखीं, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है। उन्होंने मुख्य रूप से जाति व्यवस्था का विरोध किया, सांप्रदायिक सद्भाव, आध्यात्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया और समानता का समर्थन किया। श्री गुरु रविदास का जन्मस्थान उनके सभी अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है, वह मीरा बाई के आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, संत रविदास के अनुयायी उनकी जयंती पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उनके जीवन की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं। संत रविदास जी के जीवन में कई घटनाएं घटी हैं, जो एक आदर्श और शांतिपूर्ण जीवन जीने का तरीका सिखाती है। उनके अनुयायी इस दिन को एक वार्षिक उत्सव के रूप में मनाते हैं और उनके जन्म स्थान पर लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं। इस दिन कई भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं और संत रविदास की झांकी निकाली जाती है और उनके दोहे पढ़े जाते हैं। साथ ही रविदास की झांकी में भजन कीर्तन किए जाते हैं और उनके छंदों से लोग प्रेरणा लेते हैं।

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