जीवन मे सेवा भाव ही मनुष्य को समर्पित करता है - देवी संध्या जी
भिंड (मधुर कटारे) - जीवन मे सेवा भाव ही मनुष्य को समर्पित करता है ईस्वर की सच्चीआस्था से जोड़ने के लिए बेटी बहन माँ अद्भुत धरोहर है संसार मे इनका अनादर करना ही ईस्वर को चेतावनी देना है देवी संध्या जी।
जानकारी अनुसार मेहगाब ग्राम सिमार में श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान कथा का तीसरा दिन श्री मद भागवत कथा में आज ब्याश गद्दी पर से देवी संध्या जी ने ईस्वर को प्राप्त करने के अद्भुत उदाहरण बताये । देवी संध्या जी ने कहा परिवार में अगर हम उपाधि भगवान की देना चाहे तो किसको देंगे पिता जी को जो कि तेज धूप में मिट्टी में परिश्रम कर अपने परिवार को पालने की हर सम्भव कोशिश करता है ।मेहनत मजदूरी खेती किसानी व्योपार ओर जो अन्य काम होते है बह भी करता है ।तब कही जाकर हम अन्य सुविधाओ का लाभ प्राप्त कर पाते है ओर जब बहि पिता घर शाम को वापिश आता है।तो उसको मोहल्ले बालो की शिकायतों के पिटारे मिले पत्नी आलोचनाओं से बेदना ओ से प्रताड़ित करें तो निश्चित ही ईस्वर को भी कस्ट होता होगा ऐसे पिता के दुखों को देख कर फिर भी पिता सबकी सुनकर अपने परिवार में प्यार की रोशनी रखता है और सभी से गलती की माफी भी मांगता है क्यो की उसको पता है ।परमात्मा को पाना है तो प्यार से परिवार को चलाना भी जरूरी है ।आज बच्चे शरारत कर रहे है ।गाँव के लोग शिकायते कर रहे है कल जरूर ईस्वर मेरी तपस्या का प्रसाद मुझे अवश्य देगा ।तो ऐसे परिवार के बच्चो को ईस्वर स्वयं सद्बुद्धि प्रदान करता है और बच्चो को अच्छी नोकरी अच्छी पोस्ट पर विराजमान भी करता है ।अगर माताएं अपने पति से विवाद न करे तो घर मे माँ लक्ष्मी देवी माँ अन्नपूर्णा माँ सरस्वती ऐसे घर मे विराजमान होती है और सुख समबृद्धि का धनी होता है इसी लिए परिवार में ब्यक्ति को सदैव ईस्वर के जैसी सेबा का भाव रखना चाहिए जिससे परिवार में आप के प्रति ब्यकुलता मान सम्मान बना रहे ब्याश गद्दी पर विराजमान देवी संध्या जी का डीबीसी24 न्यूज़ एंकर ममता सिंह के द्वारा सम्मान स्वागत किया गया साथ ही देवी जी को भगवान कृष्ण राधा रानी मीरा की अद्भुत चित्रण बाली तस्वीर भेंट की देवी संध्या जी के द्वारा ममता सिंह को सुंदर की गिफ्ट भेंट की गई ।
ब्याश गद्दी से देवी संध्या जी ने आम श्रोताओं को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर संदेश दिया देवी जी ने कहा माताओं को कभी गर्भ में भूर्ण हत्या नही करनी चाहिए पता नही आप की किस्मत में ईस्वर क्या भेज रहा है बेटियों को आज के युग मे तिरस्कार की दृष्टि से नही देखना चाहिए ।बल्कि माँ बेटी बहन की हमेशा इज्जत करना चाहिए पता नही कब किस घड़ी में कौन काम आ जाये सत्यावान की जान बचाने के लिए सावित्री ने यमराज से भी हट कर ली और यमराज भी उनकी तपस्या से हार गए और ओर 100 पुत्रो का आशीर्वाद देकर सत्यावान को जीवन दान दे गए ।बेटी के रूप में माँ हमेशा क्यो दर्शन देती है ।अर्थात माँ बता रही है।बेटी की इज्जत मान सम्मान की जो हिफाजत करता है सदा ईस्वर उससे प्रसन्न होता है ।और ऐसे ब्यक्ति को समाज मे परिवार में दुनिया मे सभी याद करते है ।
इस लिए भागवत कथा में कहा है ।
कर्म प्रधान विश्व कर राखा
इस लिए मनुष्य को कर्म करना चाहिए फल की प्राप्ति की इच्छा न करो क्यो की ईस्वर को जो देना है बह कब और कहा देगा किसी को नही पता इस लिए आप कर्म करो फल मिल ही जायेगा।इस कथा में पारीक्षत अंगददास उपाध्याय,जी,सचिव अटल बिहारी उपाध्याय जी द्वारा एक लाख ग्यारह हजार रुपए सप्रेम दान राशि दी गई