कथा श्रवण से ही मनुष्य के भीतर के अंधकार रूपी अज्ञान को दूर किया जा सकता है : शास्त्री राजेंद्रप्रसाद दासजीे | Katha shravan se hi manushy ke bhitar ke andhkar rupi

कथा श्रवण से ही मनुष्य के भीतर के अंधकार रूपी अज्ञान को दूर किया जा सकता है : शास्त्री राजेंद्रप्रसाद दासजीे

कथा श्रवण से ही मनुष्य के भीतर के अंधकार रूपी अज्ञान को दूर किया जा सकता है : शास्त्री राजेंद्रप्रसाद दासजीे

बुरहानपुर। (अमर दिवाने) - शहर के स्वामिनारायण मंदिर में तीसरे दिन भी 101 लीटर दूध और पंचामृत से अभिषेक किया गया, आज के अभिषेक में विशेष रूप से विशेष केसर का उपयोग किया गया, साथ ही विभिन्न प्रकार के फलों के ज्यूस से भी अभिषेक किया गया, जिसका आनंद अधिकांश भक्तों ने फेसबुक, सोशल मिडीया और केबल नेटवर्क के माध्यम से घरों में रहकर ही दर्शन कर उठाया, श्रीजी के दर्शन के साथ ही शास्त्री राजेंद्र प्रसाददासजी स्वामी ने अपने कथा वाचन में कहा कि मनुष्य का शरीर अंधकार रूपी अज्ञान से भरा हुआ हैं, और जीवन में उजाला करने के लिए सबसे सरल और आसान तरीका केवल कथा श्रवण है, यदि हम कथा श्रवण करते है तो अंधकार रूपी अज्ञान दूर होकर व्यक्ति के जीवन में विशेष ज्ञान की अनुभूती होती है। आज के समय में हर व्यक्ति अशांत है और शांती की खोज में भटकता है, शांती उसे ना तो अपने घर में, ना किसी रिश्तेदार के यहां मिलती है, बल्कि शांती उसे केवल श्रीहरी के चरणों में ही मिलती हैं, और इस शांती को पाने का एक अटूट उपाय केवल गुरू हैं, गुरू हमे भक्ति के मार्ग पर ले जाते है, और भगवान के चरणों में शांती की अनुभूती कराते हैं, व्यक्ति के जीवन में कई ऐसे आशंकाये आ जाती हैं, जिसमें वह सदैव डूबा रहता है लेकिन शंका कुशंका को दूर करने के लिए केवल सत्संग जरूरी हैं, सत्संग से मन में अस्थिरता दूर होती है। और जब मन स्थीर होता हैं तो भगवान की प्राप्ती होती हैं, और भगवान के दर्शन से ज्ञान मिलता हैं, जब भगवान का हाथ हमारे सिर पर होता है तो विशेष आनंद की अनुभूती होती हैं, और जीवन सफल हो जाता हैं। गुरू और भगवान की सेवा करने से जीवन में कोई कमी नहीं आती है, यदि भगवान को भाव और आस्था से याद करो तो भगवान प्रसन्न होते हैं और दर्शन देते हैं, भगवान ने इस धरती पर हमे केवल पैसा कमाने ही नहीं बल्कि परमार्थ के लिए भी भेजा हैं, और जो जीवन में परमार्थ करते हैं उनका जीवन सफल हो जाता हैं। 

मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि इस पवित्र पुरूसोत्तम मास में कथा पश्चात विभिन्न प्रकार के मनोरथ जैसे हाथी, घोडा और नोका में भगवान को बैठाकर दर्शन कराए जाते है, वहीं इस अवसर पर मौजूद मंदिर कोठारी पी पी स्वामी, वडताल से पधारे धनश्याम भगत, सोमेश्वर मर्चेंट, अशोक शाह, ठाकुरदास शाह, नटवर भगत, अजय भगत आदि ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगा कर मंदिर आने की अपील भी की।

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