क्या है पूरा मामला?
पीड़िता (20 वर्षीय विवाहित महिला) के अनुसार, यह खौफनाक घटना 9 जून की रात करीब 1 बजे की है। छह बदमाश उसके घर पहुंचे थे; दो आंगन में थे, और चार छत पर चढ़ गए। उन्होंने पीड़िता पर हंसिया तानकर उसे डराया-धमकाया और परिवार के सामने ही घसीटते हुए अपने साथ ले गए। पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने बताया कि अपहरण के बाद बदमाशों की बातचीत से उसे पता चला कि वे उसकी ननद को उठाने आए थे, लेकिन रात के अंधेरे और कम उम्र होने के कारण गलती से उसे (भाभी) उठा ले गए। जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, तो तीन बदमाश पीड़िता को वापस छोड़ने के लिए निकले। लेकिन घर लौटते समय रास्ते में, आरोपियों में से एक युवक (सोनू) ने पीड़िता के साथ मारपीट कर उसे डराया-धमकाया और फिर दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद उसे जान से मार डालने की धमकी देते हुए एक नाले के पास जंगल में छोड़कर भाग गए। किसी तरह महिला एक घर पहुंची और अपने परिवार को पूरी घटना बताई।
शादी से इनकार बना अपहरण की वजह
पुलिस जांच में सामने आया है कि इस अपहरण और दुष्कर्म की मुख्य वजह प्रेम-प्रसंग या बदला नहीं, बल्कि शादी से इनकार थी। गिरफ्तार किए गए 8 आरोपियों में से चार सगे भाई हैं। इनमें से एक भाई की शादी की बात पीड़िता की ननद से चल रही थी, लेकिन किसी कारणवश युवती ने शादी करने से इनकार कर दिया था। इसी बात से गुस्साए भाइयों ने अपनी बहन से शादी न करने पर बदला लेने के लिए युवती का अपहरण करने की साजिश रची थी। जिस समय आरोपी घर में घुसे, उस समय ननद अपने माता-पिता के साथ सो रही थी, जबकि पीड़िता (भाभी) अपने पति के साथ छत पर सो रही थी। दोनों की उम्र लगभग एक जैसी होने के कारण आरोपियों ने अंधेरे में पहचान में गलती कर दी और पीड़िता को छत से घसीटते हुए अगवा कर ले गए।
पुलिस की तत्परता: 8 आरोपी गिरफ्तार
पीड़िता की शिकायत के बाद, पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की। ग्राम सिमरौद, थाना बमोरी से सभी 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें सोनू (24), दीप सिंह (24), राजेश (18), तोरन सिंह (32), कैलाश (24), छगन भिलाला (42) और अंतर सिंह (24) शामिल हैं। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया है और कोर्ट में उसके बयान भी दर्ज कराए गए हैं। आरोपियों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर गहन जांच शुरू कर दी गई है। इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं और स्थानीय प्रशासन पर ऐसे अपराधों को रोकने का दबाव बढ़ा दिया है।