घरेलू बिल, पावरलूम के बिल माफ, उधोगों, कारखानों के रिडिंग के अनुसार ले : अजय रघुवंशी | Gharelu bill power loom ke bill maaf

घरेलू बिल, पावरलूम के बिल माफ, उधोगों, कारखानों के रिडिंग के अनुसार ले : अजय रघुवंशी

घरेलू बिल, पावरलूम के बिल माफ, उधोगों, कारखानों के रिडिंग के अनुसार ले : अजय रघुवंशी

बुरहानपुर। (अमर दिवाने) - प्रदेश में लॉक डाउन के चलते गरीब, मजदूर, हम्माल, दिहाड़ी मजदूर, पावरलूम मजदूर यहां तक कि मध्यमवर्गियो की हालत आर्थिक रूप से खराब हो चुकी है। कमाई का कोई स्त्रोत ना होने से उक्त सभी लोग दो जून के जीवनयापन को बड़ी मुश्किल से चला पा रहे है।
छोटे मोटे कारखाने, उधोग, फैक्ट्री, पावरलूम आदि सभी पूरी तरह से बन्द है।
ऐसी अवस्था मे विधुत मंडल को वसूली में लचीला पन लाना चाहिए, किन्तु इसके विपरीत विधुत विभाग के कर्मचारी, अधिकारी निरंकुश हो कर वसूली में लग गए है। लोगो की लाइन काटने की तैयारी तक कर रखी है, विभाग ने, किन्तु आज जबकि गर्मी का मौसम है बीमारी ने लोगो की हालत खराब की हुई है। लोगो के पास बिल भरने को तो छोड़ो खाने के लाले पड़े है, ऐसे में जब विधुत विभाग का कर्मचारी किसी की लाइन काटने जाएगा, तब जनता का गुस्सा फूटेगा, तो उसका जवाबदार कौन होगा, क्या ये बात अधिकारियो ने प्रशासन, शासन ने सोची है।
उक्त चिंता करते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजयसिंह रघुवंशी ने शासन, प्रशासन को चेताते हुए कहा कि लॉक डाउन तक होने वाली वसूली तुरन्त रोकी जाये अन्यथा इसके परिणाम अच्छे नही आएंगे।
श्री रघुवंशी ने शिवराज सरकार से आज मांग की है कि
1) राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे म.प्र. में भी 3 माह का बिल माफ हो, जिसकी घोषणा तत्काल हो। चूंकि यहाँ की सरकारे खाने की व्यवस्था के साथ बिल भरने में अक्षम लोगो को ये राहत दे रही है।
2) समस्त उधोगो, कारखानों ,वालो से चूंकि वे अभी बन्द पड़े है, तो औसत बिल ना लेते हुए मात्र रीडिंग के अनुसार बिल वसूले जाए।
3) जिले के पावरलूम जो इन दिनों बन्द पड़े है, फिर भी उन्हें औसत बिल दिया जा रहा है। जबकि खपत हो नही रही, अतः समस्त पावरलूम के बिल भी माफ हो।
4) विधुत विभाग द्वारा होने वाली वसूली तत्काल रोकी जाए, किसी की लाइन ना काटी जाए, चूंकि आज लोगो को खाने के खर्च की तो दिक्कत है तो बिल कैसे भरे।अन्यथा अराजकता की स्थिति निर्मित हो सकती है।
अतः मुख्यमंत्री जी इस संवेदनशील मुद्दे को तत्काल अपने सज्ञान में लेते हुए सभी मांगो का निराकरण करेंगे ऐसी उम्मीद है।
क्योंकि ये मुद्दे आम जनता की रोजी रोटी ओर आवश्यक कानून की श्रेणी में आता है। इसके पालन ना होने से जनता के  आक्रोश का सामना सरकार को ही करना पड़ेगा।

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